Friday, August 5, 2011

आते जाते राहो में, दिल्लगी की बाहों में,

आते जाते राहो में, दिल्लगी की बाहों में,

आते जाते राहों में, दिल्लगी की बाहों में
हमको ये ख्याल आता है, क्या इन जिंदगी की राहों में हमको भी कोई अजनबी मिलेगा
सोचते है हम कोई तो मिलेगा राहों में,पहला प्यारा होगा पहला नशा होगा,
पहली बार होंगे हम किसी की बाहों में,
कोई तो कहेगा हमें अपना, हम भी होंगे किसी का सपना,
कोई तो होगा जिसे होगा हमारा ख्याल, कोई तो पूछेगा हमसे ये सवाल " कहो ना प्यार है",
बस अब उसी का है हमको इंतजार, उस्सी के लिए है दिल बेकरार,
सोचता हूँ सोचते कट ना जाए, ये दिन, ये रात और ये रास्ते,
ना रह जाए मेरी सोच सिर्फ एक सपना,
यही सोच के दिल डरता है,
पर कहीं ना कहीं इस दिल को है यकीं ,
कहीं ना कहीं तो कोई होगा , जो देख रहा होगा हमारा सपना....

10 -03 -2002
सचिन जैन


आते जाते राहो में, दिल्लगी की बाहों में,
हमको ये ख्याल आया है,
इन जिंदगी की राहो में हमने भी एक अजनबी को पाया है,
सोच रहे है, पहला प्यार है, पहला नशा है, पहला गजब का ये अहसास है,
कोई कह रहा है हमें अपना, हम भी है किसी का सपना,
कोई है जिससे है हमारा ख्याल, जो पूछता है हमसे सवाल "कहो ना प्यार है"
उसी का ही था हमको बरसों से इंतज़ार, उसी के लिए था दिल बेकरार,
कट तो गए बहुत दिन, बहुत रात और बहुत रास्ते,
पर अब सपना सच होता लगता है, कोई अपना होता लगता है.........:)

30 -07 -2011
सचिन जैन

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