Tuesday, August 9, 2011

जब से मिला है साथ आपका , मुझको कविता लिखना आ गया है.....







जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
कलम को अपनी मुझे,
एक नयी दिशा में चलाना आ गया है....
कभी गंभीर कभी चुलबुलापन,
हँसना-हँसाना,रूठना- मनाना,
का मतलब समझ में आ गया है....
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
जिम्मेदारियां अनेक,कुछ रिश्ते विशेष,
की कसौटी से है गुजरना.......
ये समझ में आ गया है.......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
दो परिवारों बीच पुल बनकर,
हँसते हँसते है रहना,
ये अहसास हो गया है......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है......
घर और बाहरी दुनिया के बीच,
संतुलन है बिठाना,
ये भी समझ में आ गया है..........
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है....
बच्चों संग बच्चा, बड़ों संग बड़ा,
बनकर है रहना,
ये दिलोदिमाग पर छा गया है......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है....
'आप' की उम्मीदों और विश्वास पर,
है खरा उतरना,
ये ख्याल मन में छा गया है.......
जब से मिला है साथ आपका ,
मुझको कविता लिखना आ गया है....:

1 comment:

  1. जब से मिला है साथ तुम्हारा हमको जीना का मन करता है,
    लिखना था भूला मैं कब से, अब लिखने का मन करता है,
    सपने-अपने से लगते हमको, नए सपने हर रात बनाने लगे हैं हम,
    जब से मिला है साथ तुम्हारा, डर अपना मिट सा गया है,
    सादगी तुम्हारी, बातें प्यारी, और चंचलता भाने लगी है,
    तुम्हारे अहसासों के साथ नए अहसास बनाने का मन करता है,
    तुम्हारे साथ नई-नई चीजे सीखने का मन भी करता है,
    जब से मिला है साथ तुम्हारा, फिर जीने का मन करता है,

    Sachin Jain

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