Monday, August 8, 2011

ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं, अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.....


ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,

अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं,
जीवन की कलि खिलती है माँ के आँचल की छाया में,
पापा के  सिर पर प्यार भरे हाथ और दुलार की  साया में,
बाबा, अम्मा का मिलता है प्यार ख़ास,
क्यूंकि मूल से प्यारा होता है ब्याज,
चाचा, चाची का मिलता संग साथ,
जो सिखाता रिश्तों की गहराई साफ़,
भैया के मन में आता, ख़त्म हो गया मेरा एकछत्र राज़,
फिर जैसे जैसे कलि खिलती है, 
भाई-बहिन के प्यार की खुशबू महकती है.....
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
नाना, नानी की बचपन से सीख और प्यार,
भर देती कलि में संस्कार,
मौसी का प्यार मिलता हरदम,
क्यूंकि अब मौसी का ध्यान रहता ,
इस नन्ही कलि पर हर दम,
बुआ, फूफा का अमिट दुलार,
चह्काता  इस कलि को बार बार.........
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
धीरे धीरे ये कलि और खिलती है,
नए नए रिश्तों संग मिलती है,
गुरु का होता जीवन में प्रवेश,
इस रंग की अहमियत है विशेष,
ज्ञान का अमृत कलि में बढता है,
जीवन की बारीकियों का पता चलता है......
फिर आते है नए नए दोस्त संग-साथी,
जिनके साथ शुरू हो जाती,
प्रतिस्पर्धा,पढाई,लड़ाई और मौज मस्ती,
धीरे धीरे कलि में रंग बढता है,
ज्ञान रूपी उजाला अज्ञान तिमिर को हरता है........
जब मिल जाये भाभी रूपी दोस्त का साथ,
कलि कैसे न करे अपने ऊपर नाज़,
जीवन में आता जब प्यारा चंचल भतीजा,
कलि की मुस्कराहट का नहीं लगा सकते आप अंदाजा.......
जब मिलती किसी अच्छे सत-गुरु की शरण,
तो  कलि की महक का नहीं हो सकता शब्दों में वर्णन......
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
धीरे धीरे कलि फूल में बदलती है,
हवा, धूप, बारिश, तूफ़ान में,
अपना अस्तित्व बनाने को तरसती है,
जो फूल सह जाता इन सब का वार,
वो परिपक्व होता और फैलाता खुशबू बेशुमार.....
आते अलग अलग लोग हर रोज,
दे जाते कोई नई सीख ,कोई नई सोच,
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
ये फूल अब उस पड़ाव पर चलता है,
जब कोई दूसरे  समान फूल से मिलने को तरसता है,
जब आ जाता मन चाहा सम-फूल,
फूल की महक बढ़ जाती भरपूर,
नए नए रिश्तों से होता है मिलन,
सास- ससुर का होता जब जीवन में आगमन,
देवर, नन्द, नंदोई,भांजा बन जाते ख़ास,
फूल को लगता हो जाऊ मैं इनके दिल के पास,
चाचा-चाची ,भाई- बहिन,
बन जाते अटूट बंधन........
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं.......
जब दो फूल मुस्कुराते साथ साथ,
ये सब रिश्ते बन जाते और ख़ास............
ज़िन्दगी के अपने ही रंग होते हैं,
अलग अलग रिश्तों के संग होते हैं....

No comments:

Post a Comment